सोमवार, 22 नवंबर 2010

उसके नाम पर

हत्या जरूरी है 
उस ईश्वर की जिसके नाम पर 
बिगड़ता है 
शहर का माहौल बार-बार
और वह देखता है चुपचाप 
किसने गढ़ी ऐसी खतरनाक सत्ता
कौन देता है इसे खाद पानी 
तलाशने होंगे वे स्रोत 
निकलते हैं जहां से 
ऐसे मानव विरोधी विचार

नहीं चाहिए हमें 
कोई ईश्वर 
मंदिर-मस्जिद गुरूद्वारा 
इंसानियत के बदले
हम और नहीं सींच सकते 
मासूमों के खून से 
मजहब की ये नागफनी 
यह फिर-फिर चुभेगी 
हमारे ही दामन में...

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