उसके नाम पर
हत्या जरूरी है
उस ईश्वर की जिसके नाम पर
बिगड़ता है
शहर का माहौल बार-बार
और वह देखता है चुपचाप
किसने गढ़ी ऐसी खतरनाक सत्ता
कौन देता है इसे खाद पानी
तलाशने होंगे वे स्रोत
निकलते हैं जहां से
ऐसे मानव विरोधी विचार
नहीं चाहिए हमें
कोई ईश्वर
मंदिर-मस्जिद गुरूद्वारा
इंसानियत के बदले
हम और नहीं सींच सकते
मासूमों के खून से
मजहब की ये नागफनी
यह फिर-फिर चुभेगी
हमारे ही दामन में...
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