रविवार, 14 नवंबर 2010

पुरस्कृत कविता-

तेजू सपने देख रहा है..

तेजू सपने देख रहा है
कथरी-कंबल साट के लेटा
माघ की रैना गुरगुर करता
तेजू सपने देख रहा है.........

बीते माघ फाग आयेगा
फूलों से लहराती फसलों में
जीवन-रस भर जायेंगे
ढलती ठंड तपेगी धरती
खेत सुनहले हो जायेंगे
सरसों अलसी अरहर गेहूं
ढो-ढोकर सब घर लायेंगे
रोटी दोनों जून पकेगी
बच्चे जी भर-भर खायेंगे
फसल है अच्छी खाने भर का
खेत में अपने हो जायेगा
और करूंगा मजदूरी जो
वो सबका सब बच जायेगा
लल्लू की अम्मा को भी
कह दूँगा रोज काम पर जाये
साथ लगा दूँगा बच्चों को
ताकि कुछ ज्यादा धन आये
चाहेंगे भगवान अगर तो
अंगना में पाहुन आयेंगे
अबकी बार बड़ी बिटिया के
हाथ में हल्दी लगवायेंगे

कथरी-कंबल साट के लेटा
माघ की रैना गुरगुर करता
तेजू सपने देख रहा है........।

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