रविवार, 1 अप्रैल 2012

प्रेम बचा रहेगा


उसकी आंखों में तैरती तरलता
उसके चेहरे का नूर
उसकी हथेलियों की गरमाहट
उसकी धमनियों में दौड़ता लहू
मेरी आवाज से सिहर उठता उसका वजूद
मेरे स्‍पर्श से उठते गिरते स्‍तन
और गुंजायमान उसकी चुपचाप हंसी
कहते हैं बारहा मुझसे
जब तक इंसान में बचा है प्राण्‍ा
प्रेम बचा रहेगा

क्या मजदूरों और किसानों की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं?

एक तरफ करोड़ों की संख्या में नौकरियां चली गई हैं और बेरोजगारी 45 साल के चरम पर है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से किसानों और मजदूरों पर एक साथ ...