किस किस से प्रतिदिन मोहभंग
बस तेरी कमी अखरती है
तू होती तो सब कुछ तुझसे
कहकर जी हल्का कर लेता
छुपकरके तेरे आँचल में
कुछ पल सुकून के जी लेता
अपने कोमल स्पर्शों से
जो छोट गया आ फिर दे दे
इच्छा है फिर तू जने मुझे
मेरे खालीपन को भर दे
माँ आ मुझको मानी दे दे.....
-कृष्णकान्त
-कृष्णकान्त
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