संसद में गूलर का फूल पाया जाता है. वहां पहुंचने के बाद लोगों की संपत्तियां बेतहाशा बढ़ती हैं. वर्तमान लोकसभा में 157 सांसद ऐसे हैं जो 2004 में भी सांसद चुने गए थे. इनमें से 145 ऐसे हैं जिनकी संपत्ति पांच सालों में बेतहाशा बढ़ी. 16 मौजूदा सांसद ऐसे हैं जिनकी संपत्ति में 500 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त हुई. 77 सांसद ऐसे हैं जिनकी दौलत सौ प्रतिशत तक बढ़ी.
कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल के पास 2004 में 12.12 करोड़ रुपये थे. अब 131 करोड़ हैं. कांग्रेसी सांसद लगड़ापति राजगोपाल के पास 2004 में 9.91 करोड़ थे, अब 122 करोड़ हैं. पल्लम राजू के पास तब 1.2 करोड़ की दौलत थी, अब 6.55 करोड़ है. कांग्रेसी सांसद भारत सिंह सोलंकी के पास 04 में 9 लाख रुपये थे, अब 3.9 करोड़ हैं.
भाजपा सांसद उदय सिंह के पास 04 में 3.6 करोड़ की दौलत थी, अब 41 करोड़ है. सचिन पायलट के पास 25 लाख थी, अब 4.64 करोड़ है. कांग्रेसी सांसद मेकापति राजमोहन रेड्डी के पास तब 5.52 करोड़ की दौलत थी, अब 36.34 करोड़ है.
संदीप दीक्षित की संपत्ति 2009 के आम चुनाव में 1.8 करोड़ थी. अब बढ़कर 7.3 करोड़ हो गई है. कपिल सिब्बल की संपत्ति में तीन साल में तीन गुना इजाफा हुआ. 2011 में सिब्बल की संपत्ति 38 करोड़ थी जो कि अब 114 करोड़ रुपये हो गई है। मीरा कुमार की संपत्ति छह साल में तीन गुना बढ़ी. 2009 में उनकी संपत्ति 10 करोड़ रुपए थी जो अब 36.49 करोड़ रुपए हो गई है।
इस चुनाव में पिछले चुनावों से ज्यादा करोड़पति—अरबपति होंगे. दिल्ली में कांग्रेस के सात में से पांच उम्मीदवार करोड़पति हैं. दिल्ली में भाजपा की मीनाक्षी लेखी, हर्षवर्धन, प्रवेश वर्मा भी करोड़पति हैं. सबसे गौरतलब हैं बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार नंदन नीलेकणि. उनकी कुल संपत्ति 7700 करोड़ है। आम आदमी के नाम पर बनी पार्टी भी खास हो चुकी है. इसके उम्मीदवारों में राजमोहन गांधी, देवेंद्र सहरावत, शाजिया इल्मी करोड़पति हैं.
अभी जैसे जैसे नामांकन होगा, और भी पूंजीपति सामने आएंगे. सवाल यह है कि हमारी विधायिका आज किसका प्रतिनिधित्व करती है? जिस अनुपात में संसद में पूंजीपति भरे हैं, क्या जनता भी उसी अनुपास समृद्ध है? यह धन कैसे बहता है? कहां से आता है? कैसे कुछ लोगों के पास इकट्ठा होता जाता है?
कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल के पास 2004 में 12.12 करोड़ रुपये थे. अब 131 करोड़ हैं. कांग्रेसी सांसद लगड़ापति राजगोपाल के पास 2004 में 9.91 करोड़ थे, अब 122 करोड़ हैं. पल्लम राजू के पास तब 1.2 करोड़ की दौलत थी, अब 6.55 करोड़ है. कांग्रेसी सांसद भारत सिंह सोलंकी के पास 04 में 9 लाख रुपये थे, अब 3.9 करोड़ हैं.
भाजपा सांसद उदय सिंह के पास 04 में 3.6 करोड़ की दौलत थी, अब 41 करोड़ है. सचिन पायलट के पास 25 लाख थी, अब 4.64 करोड़ है. कांग्रेसी सांसद मेकापति राजमोहन रेड्डी के पास तब 5.52 करोड़ की दौलत थी, अब 36.34 करोड़ है.
संदीप दीक्षित की संपत्ति 2009 के आम चुनाव में 1.8 करोड़ थी. अब बढ़कर 7.3 करोड़ हो गई है. कपिल सिब्बल की संपत्ति में तीन साल में तीन गुना इजाफा हुआ. 2011 में सिब्बल की संपत्ति 38 करोड़ थी जो कि अब 114 करोड़ रुपये हो गई है। मीरा कुमार की संपत्ति छह साल में तीन गुना बढ़ी. 2009 में उनकी संपत्ति 10 करोड़ रुपए थी जो अब 36.49 करोड़ रुपए हो गई है।
इस चुनाव में पिछले चुनावों से ज्यादा करोड़पति—अरबपति होंगे. दिल्ली में कांग्रेस के सात में से पांच उम्मीदवार करोड़पति हैं. दिल्ली में भाजपा की मीनाक्षी लेखी, हर्षवर्धन, प्रवेश वर्मा भी करोड़पति हैं. सबसे गौरतलब हैं बेंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार नंदन नीलेकणि. उनकी कुल संपत्ति 7700 करोड़ है। आम आदमी के नाम पर बनी पार्टी भी खास हो चुकी है. इसके उम्मीदवारों में राजमोहन गांधी, देवेंद्र सहरावत, शाजिया इल्मी करोड़पति हैं.
अभी जैसे जैसे नामांकन होगा, और भी पूंजीपति सामने आएंगे. सवाल यह है कि हमारी विधायिका आज किसका प्रतिनिधित्व करती है? जिस अनुपात में संसद में पूंजीपति भरे हैं, क्या जनता भी उसी अनुपास समृद्ध है? यह धन कैसे बहता है? कहां से आता है? कैसे कुछ लोगों के पास इकट्ठा होता जाता है?