गुरुवार, 27 जनवरी 2011

सोना! 
देखो मेरी आँखों में 
कहीं से गिरा है एक सपना 
की तुमने आकर उड़ा दी मेरी तन्हाई 
भर गयी मेरी अंगनाई 
मैंने लाकर एक चाँद आसमां से 
टीप दिया तुम्हारे माथे पर 
तुमने तान दिया है 
मेरे सर पे 
अपना आँचल 
मैंने मल दिए तुम्हारे गालों पर 
कुछ सुरमई उजाले 
तुमने भिगो दिया मुझे 
कुछ गीले ख्वाबों से 
मुझे भर के आगोश में 
तुमने जना अपनी कोख से मुझे 
और मैं पा गया हूँ 
अपनी मंजिल 
तुम्हारी छांव 

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