तमाम रातों में जब
मुद्दतों बाद
हमने नहीं रचा कुछ भी
उन्हीं रातों में ज़रा ज़रा सा
रचा गया हमारे भीतर कुछ
मुद्दतों बाद
किसी कवि ने लिखी-
एक महान प्रेम-कविता
एक तरफ करोड़ों की संख्या में नौकरियां चली गई हैं और बेरोजगारी 45 साल के चरम पर है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से किसानों और मजदूरों पर एक साथ ...
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