मौसम
जिनकी अंतड़ियाँ खाली थीं
कई हफ़्तों से
नहीं देखि थी उन्होंने रोटी
कोई नहीं कहता की उनके घर
आग नहीं पड़ी चूल्हे में
कई रोज़ से
अब नहीं बची थी जान
उनकी हड्डियों में
जो मरे हैं ठण्ड से
इसी तरह गर्मियों में
बरसात में भी
उडती हैं खबरें
रोज़ मरते हैं तमाम लोग
मौसम की मार से
हर मौसम में आता है
ये मौत का मौसम
जहाँ मरते हैं तमाम भूखे लोग
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