शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

इंडियन मुजाहिद्दीन की गहरी जड़ें

मुंबई एक बार फिर धमाकों से दहल गयी और हर बार की तरह फिर बेवकूफाना बयानबाजियों का गवाह बन रही है। यद्यपि, इन धमाकों के बारे में कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है, लेकिन आशंका जतायी जा रही है कि 13 जुलाई को हुए सीरियल धमाकों में इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ हो सकता है। इस बीच यह सवाल मौजूं है कि आखिर इंडियन मुजाहिद्दीन है क्या?
इसके पहले भी कई आतंकी वारदातों में इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम चुका है। कई बड़े धमाकों की जिम्मेदारी इसने खुद ली थी। सन 2008 में दिल्ली, अहमदाबाद और जयपुर में हुए धमाकों में इसी संगठन का हाथ था। पिछले कुछ सालों में करीब एक दर्जन धमाके ऐसे हैं जिन्हें इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया और इसके लिए महीने की 13 या 26 तारीख और 6.40 से 7 बजे शाम का वक्त चुना।
स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी से अलग हुए कुछ लोगों  और प्रतिबंधित संगठन हरकत-उल जेहाद--इस्लामी (हूजी) के सदस्यों 
ने इंडियन मुजाहिद्दीन नाम का संगठन बनाया था। इसके अपने खास किस्म के तौर-तरीके हैं जो इसे बाकी संगठनों से अलग करते हैं। इस संगठन की खास शैली है कि यह -मेल भेज कर धमाकों की जिम्मेदारी लेता है। हालांकि, इस बार मुंबई हमलों में किसी ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है। यह संगठन काफी तेजी से एक ताकतवर संगठन के रूप में उभरा और कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया।
बताया जाता है कि इसके तार पाकिस्तान से जुड़े हैं और यह पाकिस्तानी संगठन लश्कर--तैयबा का मुखौटा है। इस पर अलकायदा और आईएसआई का भी वरदहस्त है। आमिर रजा खान नाम का आतंकी इसके संस्थापकों में से एक है। वर्तमान में इसकी कमान रियाज भटकल के हाथों में है जिसकी निगरानी में भर्तियां वगैरह की जाती हैं।
इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम पहली बार उस सामने आया जब 23 फरवरी, 2005 को इसने वाराणसी में धमाके किये थे। इसमें आठ लोग घायल हुए थे। पिछले कुछ सालों में यह सबसे घातक आतंकी संगठन के रूप में सामने आया  है और भारत में यह सबसे ज्यादा सक्रिय आतंकी संगठन है। भारत सरकार ने इसे आतंकी संगठनों में डाल चुकी है। यह संगठन अब तक 500 से अधिक लोगों की जानें ले चुका है।
पिछले पांच सालों में करीब दस बड़े आतंकी हमलों से इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम जुड़ा है। 2005 में दीवाली के ठीक पहले दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट में हुए धमाकों में इस संगठन के शामिल होने के सबूत मिले थे, जिसमें करीब 66 लोगों की मौत हुई थी।
2006 में मुंबई  की लोकल ट्रेन में सीरियल धमाके हुए थे जिसमें 187  लोगों की मौत हुई थी, इसे भी इंडियन मुजाहिद्दीन ने ही अंजाम दिया था। जयपुर धमाके में 80 लोग मारे गये थे और 200 से ज्यादा घायल हुए थे। अहमदाबाद धमाकों में 56 की मौत हुई और 200 घायल हुए। 2008 के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में 30 लोगों की मौत हुई थी। इन आंकड़ों से जाहिर है कि इस संगठन ने जिन भी वारदातों को अंजाम दिया है, वे सभी बड़ी वारदातें रहीं हैं जिनमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने की कोशिश होती है।


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