गुरुवार, 17 सितंबर 2015

क्या हम हिंदू तालिबान बनेंगे?

प्रसिद्ध तर्कवादी और कन्नड़ साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की हत्या कर दी गई. साहित्य अकादमी प्राप्त 77 वर्षीय कलबुर्गी हम्पी विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके थे. वे धार्मिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और सामाजिक अन्याय के आलोचक थे. उनके लेखों और बयानों पर पिछले महीनों कुछ विवाद भी हुए थे. यह हत्या धार्मिंक अंधविश्वास पर अभियान चलाने वाले नरेंद्र दभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्याओं की अगली कड़ी है. हाल ही में हिंदू अतिवादियों के हमलों से परेशान होकर तमिल साहित्यकार पेरुमल मुरुगन ने अपनी मौत की घोषणा की थी कि 'लेखक पेरुमल मुरुगन आज से मर गया'.
M M Kalburgi 
तीन प्रसिद्ध तर्कवादी विद्वानों की इन हत्याओं से कुछ गंभीर सवाल खड़े हुए हैं. हाल में ऐसे ही चार मामले बांग्लादेश में सामने आए हैं. वहां पर नास्तिक धर्मनिरपेक्षता के पक्ष में लिखने वाले चार ब्लॉगरों की अतिवादियों ने हत्या कर दी. ठीक उसी तर्ज पर भारत में तीन लेखकों की हत्या की गई. क्या भारतीय लोकतंत्र पाकिस्तान और बांग्लादेश की राह पर है? क्या अब सही—गलत कहने के लिए साहित्यकारों की हत्याएं की जाएंगी? क्या हिंदुस्तान एक उदार, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र नहीं रह गया है जहां पर तमाम विरोधी विचार एक साथ मौजूद रह सकते हैं? क्या आप मुझसे या मेरे विचारों से असहमत हैं तो मुझे आपकी हत्या कर देनी चाहिए? क्या हम हिंदू तालिबान बनने की राह पर हैं जहां पर धार्मिक कुरीतियों और बुराइयों की आलोचना करने पर हमारा सर कलम कर दिया जाएगा? क्या यह सब एक स्वस्थ समाज के लिए बेहद भयावह नहीं है?

Govind Pansare
आस्था यदि राजनीतिक उन्माद में तब्दील हो जाए तो वह अतार्किक, हिंसक और क्रूर हो जाती है. तर्क हर हाल में अहिंसक, मानवीय और सौम्य हैं. नरेंद्र दभोलकर, गोविंद पानसरे, पेरुमल मुरुगन और एमएम कलबुर्गी जैसे विद्वानों ने किसी की हत्या नहीं की, किसी पर हमला नहीं किया. उन्होंने अंधविश्वास और धार्मिक कुरीतियों पर प्रहार किया. इससे कुछ अतिवादी बौखला उठे. उन्होंने साल भर के भीतर तीन लेखकों की हत्या कर दी. जिस देश में छह धर्मदर्शनों में चार किसी न किसी रूप में नास्तिक हैं, जिस देश में कभी एक साथ शंकराचार्य और चावार्क हो सकते थे, वह देश अपने ही विद्वानों के तर्कवादी होने पर उनकी हत्याएं करते हुए विश्वगुरु बनने के सपने देख रहा है. बन क्या रहा है? इस असहिष्णु बर्बरता के साथ हम कहां पहुंचेंगे, जहां असहमत होने पर हत्या कर दी जाती हो?

Narendra Dabholkar
इससे भी ज्यादा स्तब्ध कर देने वाला बजरंग दल के बंटवाल सेल के सह—संयोजक भुवित सेट्टी का ट्वीट रहा. उन्होंने कलबुर्गी की हत्या के बाद ट्वीट किया, 'तब यूआर अनंतमूर्ति थे और अब कलबुर्गी। हिंदुत्व का मजाक उड़ाओगे तो कुत्तों की मौत मरोगे। डियर, के.एस. भगवान, अगला नंबर आपका है।' के.एस भगवान भी कलबुर्गी की तरह रिटायर्ड प्रफेसर हैं. उनकी इस ट्वीट से कई सवाल उठते हैं. भुवित जिस तरह कलबुर्गी की हत्या का स्वागत कर रहे हैं और दूसरे प्रोफेसर को धमका रहे हैं, क्या इस हत्या में बजरंग दल की कोई भूमिका है? क्या जिस लेखक को वे धमका रहे हैं उन्हें भी मार दिया जाएगा? क्या हम हिंदू तालिबान बनने की राह पर हैं? क्या हमारे देश में धार्मिक आलोचनाओं पर खुलेआम धमकी और हत्याएं होंगी? अगला नंबर किसका होगा? आपका या मेरा?

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