गुरुवार, 17 सितंबर 2015

अच्छे दिनों में किसान

तेलंगाना के एक किसान ने बीते नौ सितंबर को हैदराबाद जाकर फांसी लगा ली. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के गृहनगर मेडक में ही कुल 34 किसानों की आत्महत्या के मामले दर्ज किए जा चुके हैं. इनमें से पांच तेलंगाना के बनने के बाद हुईं हैं.
महाराष्ट्र के सिर्फ मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल 628 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. बीते अगस्त में ही यहां फसल बर्बादी के चलते 105 किसानों ने आत्महत्या कर ली. विदर्भ में किसान आत्महत्याओं की दर मराठवाड़ा से भी ज्यादा है. मराठवाड़ा में 2014 में 574 किसानों ने आत्महत्या की थी. यह वही महाराष्ट्र है जहां के नेता शरद पवार दस साल से ज्यादा कृषि मंत्री रहे और अब मोदी जी उनके सपनों का कृषि विज्ञान केंद्र बनवा रहे हैं. फरवरी में बारामती में बने इस केंद्र का उद्घादन प्रधानमंत्री मोदी ने किया था. पवार और मोदी ने एक—दूसरे को किसानों का हितैषी बताया था, लेकिन ताबड़तोड़ किसान आत्महत्याओं पर दोनों ने कुछ नहीं कहा था. चुनाव प्रचार में मोदी के लिए एनसीपी ‘स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी’ थी. बाद में उन्होंने कहा कि 'कोई ऐसा दिन नहीं है जब मेरी और पवार की फोन पर बात न होती हो. हम दोनों के हित एक हैं.'
विदर्भ और मराठवाड़ा में सूखे की जबरदस्त स्थिति है. केंद्र सरकार वहां पर मनोचिकित्सा केंद्र खोलने जा रही है. जैसे एक केंद्रीय मंत्री कह रहे थे कि किसान प्रेम प्रसंगों में असफल होकर आत्महत्याएं कर रहे हैं, उसी तरह सरकार भी मान रही है कि आर्थिक तंगी से मरने वाले किसान मेंटल हो गए हैं. इसलिए वह मनोचिकित्सालय खोलेगी.
सहारनपुर में गन्ने का बकाया मांगने के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठी चार्ज की गई. कई किसानों को चोट आई. किसानों के कुछ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. यूपी में हमीरपुर के मझगवां में फसल सूख जाने के कारण एक किसान ने पांच सितंबर को फांसी लगा ली थी.
पिछले 19 सालों में सवा तीन लाख से अधिक किसान देश में आत्महत्या कर चुके हैं. आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में किसानों की आत्महत्याओं की दर में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
तेलंगाना के मेडक जिले का एक गांव है रयावरम. सात साल का वम्शी इसी गांव के स्कूल में पढ़ता है. उस दिन वम्शी के पिता अचानक स्कूल आये थे. बेटे को कक्षा से बुलाकर स्कूल के पास की एक चाय की दुकान पर ले गये. उसे बन खिलाया. चाय पिलायी. पांच रुपये दिये और मन लगाकर पढ़ने की सलाह दी. सात साल का वम्शी पिता के व्यवहार को समझ नहीं पा रहा था. पर उसे अच्छा लगा था कि पिता ने बन खिलाया. फिर पिता ने बेटे के सिर पर दुलार से हाथ रखकर कहा था, ‘कभी किसान मत बनना.’ वम्शी इस बात को भी समझ नहीं पाया. फिर वम्शी के किसान पिता उसे स्कूल में छोड़कर चले गये. फिर कभी नहीं लौटे. उन्होंने आत्महत्या कर ली थी.
किसान बच्चों के पिता मरने से पहले कह रहे हैं, ‘कभी किसान मत बनना.’ भविष्य में कोई वम्शी किसान नहीं बनेगा. मॉनसून सत्र के दौरान मोदी सरकार ने सदन में बताया था कि 2014 में देश में 5650 किसानों ने आत्महत्या की है. मोदी सरकार के सत्ता में आने के एक साल के भीतर अडाणी की संपत्ति 48 प्रतिशत बढ़ गई. पिछले एक साल में किसान आत्महत्याओं की दर 20 प्रतिशत बढ़ी.
यानी किसान मरेंगे. उद्योगपति फलेंगे—फूलेंगे. अनाज उगाने वाले मरेंगे. खेती छोड़ेंगे. तब अडानी अंबानी मिलकर कार और मोटर बनाएंगे. मशीन बनाएंगे. हम सारे देशवासी मिलकर कार, मोटर और मशीन खाएंगे.

कोई टिप्पणी नहीं:

क्या मजदूरों और किसानों की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं?

एक तरफ करोड़ों की संख्या में नौकरियां चली गई हैं और बेरोजगारी 45 साल के चरम पर है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से किसानों और मजदूरों पर एक साथ ...