शनिवार, 14 मई 2011

आधी-आधी रोटी

अपने हाथों से आज बनायी है एक रोटी 
नमक-मिर्च थोडा-सा गुड़
लेकर के खाने बैठा
कांप रहे हाथों से 
आधी रोटी तो खा ली मैंने  
बाकी आधी लिए प्लेट में सोचता हूँ 
कैसे खाऊं 
यह तो तेरा हिस्सा है 
हर रोटी से आधी ही 
खाने की हिम्मत रखता हूँ 
गुड़ में लिपटा हुआ निवाला 
लिए हाथ में बैठा हूँ 
आओ न! 
अपने हिस्से की रोटी खा लो 
मेरी-अपनी भूख मिटा लो. 

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