अभी बाकी है
उन सपनों का पकना
जो उगाए हैं तुमने जतन से
मेरी आंखों में
चुन-चुन कर इन्हें
तेरे आँचल में टांकना-सजाना
अभी बाकी है
तेरी राहों पे चलना- चलते जाना...
वहां तक जहां बसेगा
तेरे सपनों का जहां
अभी बाकी है
मेरा कण-कण बिखरना
तेरे हाथों फिर-फिर गढ़ा जाना
अभी बाकी है
मेरा जीना-मरना
तुम्हारी अस्थि-मज्जा से
आकार लेना
तेरे स्त्रीत्व से भरना-जना जाना
अभी बाकी है
तेरी स्त्री का मुझमे उतरना
हमारे वजूद का मिलना-मिटना
शून्य हो जाना
अभी तो सब बाकी है...
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