गुरुवार, 9 दिसंबर 2010


सूचना युग का क्रांतिकारी जुलियन असांजे


अपने कारनामों से अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के लिए नीतिगत स्तर पर मुश्किलें खड़ी करने वाले जुलियन असांजे आस्ट्रेलियाई पत्रकार और इंटरनेट एक्टिविस्ट हैं. उन्होंने 2006 में  भंडाफोड़ करने वाली साइट विकीलीक्स की स्थापना की. दुनिया उन्हें विकीलीक्स के एडीटर इन चीफ और प्रवक्ता के तौर पर जानने से ज्यादा इस बात के लिए जानती है कि उन्होंने अमेरिका के राजनीतिक और आपराधिक कारनामों का खुलासा करने वाले लाखों गुप्त दस्तावेजों को आनलाइन करके अमेरिका को विश्वबिरादरी में रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया है. अमेरिका के तमाम स्याह-सफेद सच दुनिया के सामने आ गये हैं, जिससे अमेरिका काफी असहज हो गया है. विकीलीक्स पर अबतक इराक, अफगानिस्तान और अमेरिका से जुड़े युद्धों के लाखों महत्वपूर्ण दस्तावेज सार्वजनिक हो चुके हैं. इन दस्तावेजों ने अमेरिका और नाटो के गंभीर युद्ध अपराधों को दुनिया के सामने ला दिया है. अमेरिका और उसके समर्थक देश जहां असांजे को अपना दुश्मन मानने लगे हैं, तो दुनिया भर में अचानक उनके लाखों प्रशंसक पैदा हो गये हैं. उनके कामकाज का तरीका गोपनीय और दुनिया भर को हैरान करने वाला है. 
असांजे भले ही विकीलीक्स के हालिया खुलासे से चर्चा में आये हों, उनकी लड़ाई बहुत लंबे समय से जारी है. कंप्यूटर प्रोग्रामर रहे असांजे कई देशों में रह चुके हैं. फिलहाल उनके ब्रिटेन में रहने की खबरें हैं. वे सार्वजनिक तौर पर कभी कभी दिखते हैं और स्वतंत्र प्रेस, सेंसरशिप और खोजी पत्रकारिता के बारे में बोलते रहे हैं. उन्हें विकीलीक्स के लिए किये गये कामों के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में तीन पुरस्कार भी 
 मिल चुके हैं. केन्या में हुई गैर-कानूनी हत्याओं पर उन्होंने तमाम खुलासों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. सोलह साल की उम्र से ही असांजे ने छद्म नाम मेनडैक्स से हैकिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने हैकिंग के बेसिक नियम बताते हुए कहा कि हैकिंग करने का उद्देश्य सिर्फ सूचना का आदान-प्रदान होना चाहिए, न कि कंप्यूटर को क्षति पहुंचाना या सूचनाओं को नष्ट करना. हैकिंग के आरोप में आस्ट्रेलिया की पुलिस ने 1991 में उनके घर छापा मारा और उन्हें गिरतार कर लिया. 1992 में उनपर हैकिंग के 24 मामले दर्ज किये गये और जुर्माना लगाया गया. असांजे का कहना है कि ’यह बहुत दुखद है कि लोग मुझे कंप्यूटर हैकर कहते हैं. मैंने हैकिंग पर किताब जरूर लिखी है लेकिन वह सालों पहले की बात है. अब मैं जो कर रहा हूं, उसके लिए शर्मिंदा नहीं हूं, बल्कि मुझे उसका गर्व है. हालांकि, मुझे हैकर कहे जाने का विशेष कारण है.’ 
असांजे विकीलीक्स के 9 सदस्यीय सलाहकार बोर्ड के मुखिया और प्रवक्ता हैं. साइट की स्थापना के समय उन्होंने लिखा कि शासन पद्धति को बदलने के लिए हमें साफ और निडर सोच रखनी चाहिए. उनकी टीम में पांच सदस्य हैं जो सभी  जरूरी दस्तावेजों को सार्वजनिक करते हैं. असांजे पत्रकारिता में पारदर्शिता और वैज्ञानिकता  के पक्षधर हैं. उन्होंने ’वैज्ञानिक पत्रकारिता’ जैसी शब्दावली गढ़ी. हालांकि, उनके विरोधी उन्हें हाइटेक आतंकवादी कहते हैं. उनका कहना है कि आप भौतिकी में बिना पूरे प्रयोग और आंकड़ों के लेख प्रकाशित नहीं कर सकते. यही पैमाना पत्रकारिता का भी होना चाहिए. 
विकीलीक्स किसी भी संगठन, संस्था या व्यक्ति से सूचनाएं अर्जित करती है. इसके लिए कोई भी उसकी साइट पर जाकर सीधे सूचना डाल सकता है या विकीलीक्स टीम से चैट भी कर सकता है. लेकिन यह सूचना तब तक सार्वजनिक नहीं होती है, जब तक विकीलीक्स की टीम उसकी विश्वसनीयता जांच नहीं लेती है. जरूरत होने पर कागजात की फोरेंसिक जांच भी करायी जाती है. असांजे का कहना है कि ’हम स्रोत की जांच नहीं करते, बल्कि दस्तावेजों की जांच करते हैं. अगर वे प्रमाणिक हैं तो इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां से आये हैं.’ माना जा रहा है कि अमेरिका से संबंधित गोपनीय दस्तावेज विकीलीक्स को एक अमेरिकी सैनिक ब्रेडले मैनिंग से मिले, जो बगदाद में तैनात था. 
विकीलीक्स पर कौन सा रहस्योद्घाटन कब होना है, इसे तय करने के लिए दुनिया के 120 जानेमाने पत्रकारों की टीम बनाई गयी है. अमेरिका का न्यूयार्क टाइम्स, ब्रिटेन का गार्जियन, फ्रांस का ला मांद, जर्मनी का डि स्पिगेल और स्पेन का डेर पाइस विकीलीक्स की मदद कर रहे हैं. विकीलीक्स पर कोई सूचना तभी  जारी होती है जब इनमें से किसी न किसी अखबार में प्रकाशित हो जाती है. विकीलीक्स का इन अखबारों के साथ गहरा सहयोग है. इन्होंने मिलकर ही यह टीम बनाई है. उनकी टीम के सभी सदस्य स्वयंसेवी हैं और विकीलीक्स के लिए बिना किसी पारिश्रमिक के काम करते हैं. यह टीम दस्तावेजों के आकलन समेत सभी फैसले लेती है. ला मांद के प्रबंध संपादक सिल्वी कोफमैन का कहना है कि हम जो दस्तावेज निर्धारित करते हैं, विकीलीक्स उन्हीं को प्रकाशित करता है. दुनिया के पांच बड़े अखबारों और तमाम पत्रकारों का सहयोग जुलियन असांजे की ताकत है, जिसे दबा पाना अमेरिका के लिए आसान नहीं होगा. शायद यही वजह हो कि असांजे के ठिकाने की खबर होने के बावजूद ब्रिटिश पुलिस उनकी गिरतारी नहीं कर पा रही है. 
विकीलीक्स के ताजा खुलासे के बाद अमेरिका ने और उसके सहयोगी देशों ने जुलियन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि अमेरिका के दबाव में आस्ट्रेलिया ने भी असांज से अपने को अलग कर लिया है. अब आस्ट्रेलियाई सरकार असांज के खिलाफ अमेरिका का साथ दे रही है. असांज ने ब्रिटेन के अखबार गार्जियन के एक कार्यक्रम में कहा कि आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड उन्हें और उनके सहयोगियों को निशाना बना रही हैं.  इससे उनका आस्ट्रेलिया लौट पाना भी संभव नहीं है. फिलहाल असांजे को छुप-छुपकर जीवन बिताना पड़ रहा है. वे अब अपनी पहचान छुपाने के लिए अपने बालों को बार बार रंगते हैं. क्रेडिट कार्ड की जगह नगद पैसे का इस्तेमाल करते हैं. वे कहीं एक जगह नहीं ठहरते. उनकी रहनवारी आस्ट्रेलिया के साथ केन्या, तन्जानिया में भी रही है. इस बीच वे अमेरिका और यूरोपीय देशों में भी आते-जाते रहे हैं. वे लगातार यात्राएं करते हैं और अलग-अलग जगहों से विकीलीक्स को संचालित करते हैं. न्यूयार्कर मैग्जीन का एक रिपोर्टर, जो उनके साथ कई हते बिता चुका है, के मुताबिक वे बिना खाये-पिये कई घंटों तक काम करते रहते हैं. वो अपने आसपास ऐसा माहौल बना लेते हैं कि उनके साथ जुड़े लोग हर हाल में उनकी मदद को तैयार रहते हैं. यह शायद उनके व्यक्तित्व का कमाल है. यह सब एक दिन में संभव नहीं हो पाया है. जुलियन ने इस काम को अपना शगल बना लिया है. बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि ’अपने स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए हमने अलग-अलग देशों से काम किया. अपने संसाधनों और टीमों को हम अलग-अलग जगह ले गये ताकि कानूनी रूप से हम सुरक्षित रह सकें. अब तक हम यह सब करना सीख गये हैं. अब तक हम न कोई केस हारे हैं और न ही अपने किसी स्रोत को खोया है.’ यह विस्मयकारी है कि विकीलीक्स के कामकाज के तरीकों से इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी परिचित नहीं हैं. 
आज दुनिया के सामने सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि विकीलीक्स के पास ऐसे गुप्त दस्तावेज आते कहां से हैं? बीबीसी हिंदी सेवा के मुताबिक विकीलीक्स ने जो जानकारी सार्वजनिक की है उसका मुख्यश्रोत अमेरिकी रक्षा विभाग का नेटवर्क ’सिप्रनेट’ है. यह नेटवर्क खुफिया जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है. अमेरिकी अधिकारी जहां एक खुफिया विश्लेषक पर शक कर रहे हैं, वहीं विकीलीक्स का कहना है कि उसका स्रोत पता करना लगभग असंभव है. 
बहरहाल, अमेरिकी दबाव में विकीलीक्स के लिए दानखाता चलाने वाली आॅनलाइन साइट पेपाल भी अपनी सेवाएं बंद कर चुकी है. अमेरिका उनके खिलाफ कार्रवाई की रणनीति तैयार कर चुका है. उनकी गिरतारी के लिए इंटरपोल ने नोटिस जारी कर दिया है तो स्वीडन से भी अंतरराष्ट्रीय वारंट जारी हो चुका है. हालांकि, असांज भी अपनी सुरक्षा को पुख्ता करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. उनकी साइट का दावा है कि उन्होंने खोजी पत्रकारिता का जो नमूना पेश किया है, ऐसा पूरी दुनिया का मीडिया मिलकर भी नहीं कर सकता है. इस दावे से किसी को असहमति भले हो, लेकिन यह दावा सिर्फ दावा नहीं है.

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