रविवार, 19 दिसंबर 2010

रोज़ आया करो ऐसे ही
भोर की उजास के साथ
जब गूंज उठती है कायनात
जब बज उठते हैं दिन
मुस्करा उठता है आसमान
भर जाते हैं हर शै में वजूद
उतर कर मेरी रगों में
भर दिया करो
सांसों में अर्थ
सोना...!

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