गुरुवार, 9 अगस्त 2018

'राफेल विमान सौदा रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला'

राफेल विमान सौदे में करीब 35000 करोड़ का घोटाला हुआ है. यह हमारा नहीं, देश की तीन बड़ी शख्सियतों का कहना हैं. ये हैं पूर्व भाजपा मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और वकील प्रशांत भूषण. अरुण शौरी दशकों से रक्षा सौदों और उसमें हेरफेर के मामलों को फॉलो करते रहे हैं. इन तीनों का कहना कि रफेल विमान की डील में घोटाला हुआ है और यह अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा घोटाला है. यह राजीव गांधी के समय हुए बोफोर्स घोटाले से भी बड़ा घोटाला है.
फोटो साभार: जीन्यूज
इनके मुताबिक, राफेल के मुकाबले बोफ़ोर्स घोटाला कुछ नहीं था, इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा है. प्रशांत भूषण के मुताबिक, राफेल सौदे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्णय लेने का अधिकार नहीं था, जबकि यह अधिकार दूसरे संस्थानों के पास था. इस डील में रक्षा मंत्रालय, कैबिनेट कमेटी आॅन सिक्योरिटी और वायुसेना की राय नहीं ली गई. इसमें साफ तौर पर प्रधानमंत्री के खिलाफ 'क्रिमिनल मिसकन्डक्ट' का मामला बनता है. इसीलिए बचने के लिए प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट में बदलाव कर दिया गया, जिसके तहत प्रधानमंत्री पर शिकंजा कसा जा सकता था.
प्रेस कांफ्रेंस के मुताबिक, सौदे में बदलाव के बाद हर विमान 1000 करोड़ ज़्यादा कीमत में खरीदा जा रहा है. इस सौदे में भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल को बाहर करके अनिल अंबानी की कंपनी को डील में शामिल किया जिसे रक्षा उपकरण बनाने का कोई अनुभव नहीं है. इससे अंबानी को 21000 करोड़ का मुफ्त में फायदा होगा. पूर्व में 126 विमानों का सौदा करने का प्रस्ताव था जिसे बदल कर 36 कर दिया गया. इसके साथ में फ्रांस से विमान बनाने की तकनीक मिलनी थी, वह भी नए समझौते के तहत नहीं मिलेगी.
सरकार कह रही है कि फ्रांस के साथ गोपनीयता का समझौता है इसलिए इस मामले में कोई सूचना नहीं दी जा सकती. इस पर अरुण शौरी का कहना है कि रक्षा मंत्री ने लोकसभा में झूठ बोला है. भारत—फ्रांस के बीच हुए समझौते में स्पष्ट लिखा है कि सिर्फ विमान की तकनीक से जुड़ी जानकारियों के लिए ये समझौता प्रभावी होगा. सरकार को बताना चाहिए अनिल अंबानी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया, इसका जवाब देने के लिए ये एग्रीमेंट कहां मना करता है? सीक्रेसी की आड़ में भ्रष्टाचार छुपाया जा रहा है.
जबकि इंडिया टुडे के मुताबिक, फ्रांस के राष्ट्रपति का कहना है कि अगर सरकार जरूरी समझे तो विपक्ष को जरूरी जानकारियां दे सकती है. फिर सरकार ये जानकारी देना जरूरी क्यों नहीं समझ रही है?
इन तीनों नेताओं का आरोप है कि गोपनीयता का हवाला करप्शन को छुपाने के लिए दिया जा रहा है.
प्रशांत भूषण के मुताबिक, इस डील में प्रधानमंत्री ने अनाधिकृत रूप से मनमानी की. रक्षा मंत्रालय, वायुसेना और कैबिनेट कमेटी के अधिकारों को दरकिनार कर, पद का दुरुपयोग करके, देश की जनता के 35000 करोड़ का नुकसान किया गया.
अरुण शौरी ने कहा है कि राफेल सौदे से राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा है. लेकिन अनिल अंबानी ने उन्हें चिट्ठी लिखी है कि इस मुद्दे को न उठाएं.
शौरी ने कहा कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान राफेल विमान सौदे का जो समझौता हुआ वह पुराने मसौदे से अलग है. नई डील के लिए नए सिरे से टेंडर होना चाहिए था. इसके साझा घोषणापत्र में भी किसी नए उपकरण या हथियार लगाए जाने का ज़िक्र नहीं था. सेम कॉन्फिगरेशन के हथियार का ज़िक्र था जिसे एयरफ़ोर्स पहले टेस्ट कर अप्रूव कर चुका था. इसका कॉन्ट्रेक्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से हटाकर अनिल अंबानी की कंपनी को दे दिया गया जिसको डिफ़ेंस का कोई अनुभव नहीं था और कंपनी 10 दिन पहले बनाई गई थी.
शौरी ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन कहती है कि हर ऑफ़सेट कॉन्ट्रेक्ट चाहे वह जिस भी क़ीमत का हो, रक्षा मंत्री की मंज़ूरी से होगा. सरकार झूठ बोल रही है कि रिलायंस को कॉन्ट्रेक्ट डेसाल्ट ने दिया. कीमत का खुलासा न करने का तर्क भी बेकार है. सरकार के रक्षा राज्यमंत्री खुद लोकसभा में कीमत बता चुके हैं- 670 करोड़ प्रति विमान जिसमें सब कुछ शामिल है. इस क़ीमत में हथियार से लेकर ट्रांसफर ऑफ टेक शामिल है. रिलायंस और डेसाल्ट ने भी खुद एक साल पहले कीमत बताई थी, 1000 करोड़ प्रति विमान से ज़्यादा.
प्रशांत भूषण ने कहा कि इस सौदे से देश को 35000 करोड़ दी चपत लगी है. सौदे में विमान की तादाद घटाए जाने से देश की सुरक्षा को ख़तरा बढ़ा है. इस सौदे की जानकारी न तो रक्षा मंत्री को थी न वायुसेना में किसी को. पीएम मोदी ने अपने स्तर पर ही फ़ैसला किया.
भूषण ने कहा कि हमारे देश को सुरक्षा के लिए सात स्क्वाड्रन की ज़रूरत है, तभी 126 विमानों की बात हुई थी. इसके बावजूद यह संख्या 36 कर दी, बिना किसी की जानकारी के. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि कैसे किसी हैंकी पैंकी कंपनी को कॉंन्ट्रेक्ट दिया जा सकता है? वह (सरकार) कहती है कि इसमें मिडिल मैन कहां हैं! तो फिर इस डील में अनिल अंबानी कौन है? कहां से आ गया, कैसे हजारों करोड़ ले जाएगा?
आप किस आधार पर कह रहे हैं कि विमान खरीद में घोटाला हुआ है, इस प्रशांत भूषण का कहना है कि सरकार का बार बार स्टैंड बदलना और झूठ बोलना, 670 करोड़ के विमान का दाम 1670 करोड़ हो जाना, नई बोगस कंपनी का नाम शामिल करना, उस कंपनी के कर्ज में डूबे होने को दरकिनार कर देना, सरकारी एजेंसी को डील से हटा देना, इसके ठीक बाद खुद को बचाने के लिए प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट को बदल देना, सौदे के बारे में जनता को न बताना, रक्षा मंत्रालय और वायु सेना को डील की कोई जानकारी न होना, ये बातें यह साबित करती हैं कि राफेल सौदे में घोटाला हुआ है.
यशवंत सिन्हा ने कहा कि विदेश सचिव ने समझौते से दो दिन पहले कहा था कि पुरानी डील को ही आगे बढ़ाएंगे, पर वहां जाकर नई डील कर ली गई. अरुण शौरी ने कहा कि जिस तरह राफ़ेल डील की गई है उससे वायुसेना के लोग बहुत ख़फ़ा हैं. अनिल अंबानी की कंपनी की ओर से इन आरोपों को खारिज किया गया है. सरकार ने अभी तक इन आरोपों पर कोई सफाई नहीं दी है.

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