मंगलवार, 7 अगस्त 2018

गाय पर एक निबंध

वर्तमान भारत में गाय एक धार्मिक और राजनीतिक पशु है. सभी जाति धर्म के लोग गाय पालते हैं. राजनीति गाय पालने के नाम पर उन्मादी भीड़ पालती है. हिंदू गाय की पूजा करते हैं. नेता गाय के नाम पर हत्या करने वालों की माला पहनाकर पूजा करते हैं. गाय दूध देने के काम आती है. गाय दंगा कराने और वोट लेने के भी काम आती है. इसलिए पार्टियों के प्रवक्ता चैनलों पर तेज तेज आवाज में गाय की जबानी पूजा खूब करते हैं.
हिंदुओं में मान्यता है कि मरते वक्त आदमी से गोदान करवा दिया जाए तो वह गाय की पूंछ पकड़कर संसार रूपी वैतरणी पार कर जाता है. भारत के नेताओं में मान्यता है कि गाय के नाम पर अगर जनता में उन्माद भर दिया जाए तो चुनाव रूपी वैतरणी को पार किया जा सकता है.
हमारे देश में आजकल गाय के बहाने लोगों की भीड़ किसी को भी पीट पीटकर मार देती है. भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां तमाम किसान और पशु व्यापारी मारे जा चुके हैं. मरने वाले को देशद्रोही अथवा हिंदूद्रोही कहा जाता है जबकि भीड़ का तो कोई चेहरा नहीं होता इसलिए किसे पकड़ा जाए इसका धर्मसंकट बना रहता है. भीड़ बनकर मारने वालों में से अगर कोई पकड़ा जाए तो सरकार उन्हें 'भगत सिंह' और 'निर्दोष बच्चे' कहती है. पकड़े गए लोग जब जेल से छूटते हैं तो सरकार के मंत्री हत्या करने वालों को माला पहनाकर उनका स्वागत करते हैं. देश के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ये खूनी खेल बंद करो, लेकिन आदेश के तुरंत बाद एक और इंसान को पीटकर मारा गया. फिर उसे घायल मरने के लिए छोड़ दिया गया और गाय को सुरक्षित गोशाला पहुंचा दिया गया.
बुद्धूबक्सा की दुनिया के एक कुख्यात देशद्रोही रवीश कुमार ने अपने प्रोग्राम में दिखाया है कि पुलिस और नेता मिलकर हत्या करने वालों की भरपूर सुरक्षा करते हैं. गोरक्षा के नाम हत्या करने वाले गिरोहों की ख्याति पूरी दुनिया में फैल चुकी है. इसके चलते हमारे भारत की पूरी दुनिया में लगातार चर्चा भी होती रहती है. लगातार चर्चा होना हमारे ताकतवर होते जाने का प्रत्यक्ष प्रमाण है.
गाय बेजुबान जानवर है. वह बोल नहीं सकती. इसलिए वह पूछ भी नहीं सकती कि मैं किस राज्य में माता हूं किस राज्य में खाया जाने वाला जानवर. पार्टी और सरकारें गोरक्षा का नारा लगाती हैं. वे कुछ राज्यों में गोकुशी पर प्रतिंबध लगा देते हैं. लेकिन गोवा के विधानसभा में कहते हैं कि राज्य में गोमांस की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. वे पूर्वोत्तर के राज्यों में भी लोगों को गोमांस खिलाने का वादा करके चुनाव जीतते हैं. जिस तरह सभी पार्टियों के नेता चुनाव में देसी ठर्रा बंटवाते हैं, उसी तरह कहीं गोकशी बंद कराने का तो कहीं शुरू कराने का वादा करते हैं.
एक चैनल पर एक वक्रोक्तिपात्र नेताजी से दूसरे नेताजी ने पूछा कि सब राज्यों में गाय काटने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा देते, आप झूठ का सहारा क्यों लेते हैं? वक्रोक्तिपात्र नेताजी जोर से चिल्लाते हुए कहने लगे कि तुम आतंकवादी हो, क्योंकि हमारे धर्म और आस्था पर सवाल उठाते हो. इस न्याय से यह साबित होता है कि जिस तरह गोकशी पर प्रतिबंध से आस्था जुड़ी है, उसी तरह गाय के काटे जाने से भी आस्था जुड़ी है. शायद इसीलिए सरकारों ने बूचड़खानों को लाइसेंस भी दे रखा है. सरकार ने गाय की हत्या को वैध और अवैध में बांट दिया है. इसलिए हम कह सकते हैं कि लाइसेंसी गोहत्या, गोहत्या न भवति.
मौलाना मदनी और ओवैसी नामक कुछ प्रचंड देशद्रोहियों ने मांग की थी कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देकर पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया जाए, लेकिन सरकारें चूंकि देश की सुरक्षा के लिए होती हैं इसलिए इन देशद्रोहियों पर कान नहीं दिया गया है.
अभी तक के अध्ययन में विद्वानों ने पाया है कि गोरक्षा के नाम पर हत्या वही लोग करते हैं जिन्होंने गाय को या तो इंटरनेट पर देखा है, या फिर सड़क पर आवारा घूमते और पालिथिन खाते देखा है. कोई भी गाय पालने वाले के पास हत्या करने का समय नहीं रहता. दो तीन गायों की परवरिश करने के लिए एक व्यक्ति को दिन के पांच छह घंटे मेहनत करनी होती है. जो किसान गाय पालते हैं, वे उससे प्रेम करते हैं. हिंदू परिवारों में लोग इस बात के लिए सतर्क रहते हैं कि गाय को बेचें भी तो किसी ऐसे के हाथ न पड़े जो गाय को कोई भी नुकसान पहुंचाए. वे खुद उसकी सेवा करते हैं, लेकिन उसकी सेवा के नाम पर किसी की जान नहीं लेते.
आजकल गाय पालने वाले किसानों का भी बुरा हाल है. सरकारी गोरक्षा के चक्कर में पशु मेले लगने बंद हो गए हैं. सरकारों ने कांजी हाउस भी बंद कर दिए हैं जहां आवारा पशु लाकर छोड़ दिए जाते थे. पशुओं की खरीद बिक्री भी बंद हो गई है. अब जो पशु किसान के काम नहीं आ सकते, वे उसे बेच सकते नहीं, इसलिए आवारा छोड़ देते हैं. फिर वे जानवर उन्हीं के खेतों में चरते हैं और फसलें तबाह कर देते हैं. हर इलाके में सैकड़ों की संख्या में आवारा गायें और सांड़ घूमते दिख रहे हैं. किसानों ने इन जानवरों से फसल की सुरक्षा के लिए खेतों में ब्लेड वाला तार लगा दिया है. इन ब्लेड खेत में घुसने का प्रयास करने पर गाय बुरी तरह घायल हो जाती है. कुछ दिन में उसका घाव सड़ जाता है, उसमें कीड़े पड़ जाते हैं. कभी वह बच जाती है, कभी कभी मर भी जाती है. घूमने वाले जानवरों में तमाम घायल जानवर आपको दिख जाएंगे.
कुछ राज्यों में सरकार ने गायों की सुरक्षा के नाम पर गोशालाएं खोली हैं. अब चूंकि किसानों का पूरा परिवार मिलकर गायों की देखभाल करता है. सरकार इतने लोग कहां से लाए. परिणामस्वरूप गोशाला में सैकड़ों की संख्या गाएं भूखों मर जाती हैं. हमारी दादी कहती थीं कि गाय बोल नहीं सकती. अगर उसे खाना पानी समय पर न दो तो पाप लगता है. फिर आदमी नरक में जाता है. गायों को गोशाला नामक नरक में रखने की योजना जिसने बनाई होगी उसे नरक में जाना पड़ेगा. सुना है कि नरक में जो लोग बड़ा पाप करके जाते हैं, उनको पकौड़े की तरह बड़े से कड़ाहे में तला जाता है. हमें नरक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. हो सकता है कि यह नरक लोक की कोई रोजगार योजना हो जिसमें युवा पकौड़े तलते हों!
आदिकाल में गाय एक पशु मात्र थी. फिर संस्कृति के विकास के साथ लोग प्रकृति की पूजा करने लगे तो उपयोगी जानवरों की भी पूजा करने लगे. गोवंश धार्मिक पशु हो गया. फिर 21वीं सदी में राजनीति गाय के नाम पर लोगों की जान लेने लगी. अब गाय सियासी पशु बन चुका है. हमारे सियासतदां उन उन चीजों की रक्षा का नारा लगाते हैं जो भारतीय जनता की भावनाओं से जुड़ी है, मसलन— धर्म, संस्कृति, देश, मात्रभूमि, देशभक्ति आदि-इत्यादि-अनादि. भगवान राम और गाय माता इसी नारेबाज सियासत के चंगुल में फंस गए हैं. जब तक इसका कोई निदान नहीं होता तब तक हमें यह मानना चाहिए कि एक दिन कोई कृष्ण आएगा जो इन गायों को सियासत के चंगुल से बचाएगा और गाय के नाम पर लोगों को लड़ाने वालों को लाठी लाठी बजाएगा.

नोट: यूपीएससी के छात्र इस निंबंध को न रटें वरना नंबर के नाम पर अंडा मिलेगा. देशद्रोही लोग इसे रट लें, जहां भी सुनाएंगे, डंडा मिलेगा.

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