शनिवार, 4 जनवरी 2020

मोदीराज के घोटाले

मोदी जी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत का मॉडल कमाल का है. वे अपने भाषणों में कहते हैं कि 'मैंने तमाम लोगों के मलाई काटने पर रोक लगाकर भ्रष्टाचार का रूट बंद कर दिया है.' बीजेपी के समर्थक कहते हैं कि बीजेपी के राज में कोई घोटाला नहीं हुआ. क्या वे सच बोल रहे हैं? जरा इस संख्या पर गौर फरमाएं...

-अरुण जेटली सर का डीडीसीए घोटाला (2016)
-ललित मोदी घोटाला (वसुंधरा के करीबी, 2015 में लंदन भागे)
-भाजपा सांसद विजय माल्या घोटाला (2016 में लंदन भागे)
-मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला. इसमें कितना पैसा खाया गया है यह आज तक नहीं पता. यह इतिहास का पहला घोटाला है जिसमें 60 के करीब हत्याएं भी हुई हैं.
-मध्य प्रदेश में ही दस हजार करोड़ का डीमैट घोटाला
-राजस्थान में 45 हजार करोड़ का खनन घोटाला
-छत्तीसगढ़ में 36 हजार करोड़ का चावल घोटाला
-महाराष्ट्र के महिला और बाल विकास मंत्रालय में 206 करोड़ का चिक्की घोटाला
-महाराष्ट्र में ही 191 करोड़ का ई-टेंडरिंग घोटाला
-25 हजार करोड़ का एलईडी घोटाला
-90 हजार करोड़ का बैंकिग घोटाला
-सृजन घोटाला
-गुजरात पेट्रोलियम कॉरपोरेशन घोटाला
-नोटबंदी घोटाला
-राफेल घोटाला
-सहारा बिरला डायरी घोटाला
-मेहुल चौकसी घोटाला
-नीरव मोदी घोटाला
-जय शाह घोटाला
-पीएमसी बैंक घोटाला
-इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला और दाउद गिरोह से जुड़ी कंपनी से चंदा लेने का ताजा मामला सामने आया है जो न्यूजलॉन्ड्री और वायर ने छापा है.
-अप्रैल, 2018 को संसद में कैग की रिपोर्ट पेश हुई थी. जिसमें कहा गया कि मौजूदा केंद्र सरकार के 19 मंत्रालयों में अनियमितता हुई है, जिसके चलते जनता के खजाने को 11 अरब 79 करोड़ का नुकसान हुआ है. कैग को 19 मंत्रालयों में अनियमितता के 78 मामले मिले हैं.
-अडाणी की कंपनी अडाणी ग्लोेबल के खिलाफ 2300 करोड़ का फ्रॉड केस होने के बावजूद, नवंबर, 2014 में उन्हें 6000 करोड़ का सरकारी कर्ज दिया गया. मोदी सरकार के पहले साल में ही अडाणी की संपत्ति 48 प्रतिशत बढ़ गई थी. घोटाला और कैसा होता है सरकार?
-मोदी के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी की मंत्री आनंदी बेन ने अपनी बेटी को 250 एकड़ कीमती जमीन कौड़ियों के भाव में दिलवाई. 125 करोड़ की जमीन मात्र डेढ़ करोड़ में. मामला ठंडे बस्ते में.
-एककनाथ खड़से का जमीन घोटाला, जिसमें सरकार की 23 करोड़ की जमीन उनकी पत्नी और दामाद को तीन करोड़ रुपये में दी गई. इस मामले में उनका इस्तीफा भी लिया गया था.

इतने बड़े देश की इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था में बड़े बड़े बैंक डूब रहे हैं. यह गिरावट क्या बिना संगठित लूट के संभव हुई?
ये सभी वे मामले हैं जिनके बारे में मीडिया में छपा है और जानकारियां सार्वजनिक हैं. पर्दे के पीछे क्या क्या है, कौन जाने. अब आप खुद तय करें कि देश के साथ क्या हो रहा है?

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क्या मजदूरों और किसानों की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं?

एक तरफ करोड़ों की संख्या में नौकरियां चली गई हैं और बेरोजगारी 45 साल के चरम पर है. दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से किसानों और मजदूरों पर एक साथ ...