बहुत दिनों के बाद आज
माँ याद आई
लगता है कुछ खास आज रींधा होगा
मुझे याद कर बार बार
आंखें तर कर लीं होंगी
खाना खाते समय निवाला
एक एक कर पानी के दम
किसी तरह उतरा होगा
या फिर ऐसा हो सकता है
बिना बात के
गाली खाकर बाप जान से
मन ही मन भाकुसायी होगी
जाकर चूल्हे के आगे
छुपकर जी भर भर रोयी होगी
सबको देकर खाना पानी
खुद बिन खाये सोयी होगी
या हो सकता है
वो खुश हो
घर में खली बैठे बैठे
सुंदर सपना गूंथ रही हो
मन ही मन महसूस रही हो
एक दूसरा जनम लिया हो
मुझको फिर एक बार जाना हो
ले बाहों में चूम रही हो
या ऐसा भी हो सकता है
मेरे ही भीतर की स्त्री
आज ज़रा बेचैन हुई हो
बहुत दिनों के बाद आज
माँ याद आई....
माँ याद आई
लगता है कुछ खास आज रींधा होगा
मुझे याद कर बार बार
आंखें तर कर लीं होंगी
खाना खाते समय निवाला
एक एक कर पानी के दम
किसी तरह उतरा होगा
या फिर ऐसा हो सकता है
बिना बात के
गाली खाकर बाप जान से
मन ही मन भाकुसायी होगी
जाकर चूल्हे के आगे
छुपकर जी भर भर रोयी होगी
सबको देकर खाना पानी
खुद बिन खाये सोयी होगी
या हो सकता है
वो खुश हो
घर में खली बैठे बैठे
सुंदर सपना गूंथ रही हो
मन ही मन महसूस रही हो
एक दूसरा जनम लिया हो
मुझको फिर एक बार जाना हो
ले बाहों में चूम रही हो
या ऐसा भी हो सकता है
मेरे ही भीतर की स्त्री
आज ज़रा बेचैन हुई हो
बहुत दिनों के बाद आज
माँ याद आई....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें