शुक्रवार, 10 जून 2011

माँ याद आई

बहुत दिनों के बाद आज
माँ याद आई

लगता है कुछ खास आज रींधा होगा
मुझे याद कर बार बार
आंखें तर कर लीं होंगी
खाना खाते समय निवाला
एक एक कर पानी के दम
किसी तरह उतरा होगा

या फिर ऐसा हो सकता है
बिना बात के
गाली खाकर बाप जान से
मन ही मन भाकुसायी होगी
जाकर चूल्हे के आगे
छुपकर जी भर भर रोयी होगी
सबको देकर खाना पानी
खुद बिन खाये सोयी होगी

या हो सकता है
वो खुश हो
घर में खली बैठे बैठे
सुंदर सपना गूंथ  रही हो
मन ही मन महसूस रही हो
एक दूसरा जनम लिया हो
मुझको फिर एक बार जाना हो
ले बाहों में चूम रही हो


या ऐसा भी हो सकता है
मेरे ही भीतर की स्त्री
आज ज़रा बेचैन हुई हो

बहुत दिनों के बाद आज
माँ याद आई....

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