शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

गाय, गोबर और गोमूत्र विज्ञान

चूंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुताबिक, सारी दुनिया का ज्ञान वेदों निकला है. और समस्या का समाधान गोबर और गोमूत्र में है. इसलिए हमने गोबर और गौमूत्र पर शोध शुरू किया है.

पहला ज्ञान:

दुनिया का पहला एक कोशिकीय जीव विराट हिंदू था और वह गाय के गोबर से अवतरित हुआ. यहीं से गोबरवाद की नींव पड़ी. अब पहला एक कोशिकीय जीव बनने से पहले गाय कहां से आई, यह सवाल पूछना गोबर के अवतरण पर सवाल है. इसे गोबरनिंदा कहा जाएगा जो ईशनिंदा के बराबर वाली कुरसी पर बैठा है. सवाल उठाने वाला देशद्रोही माना जाएगा. गोबर महात्म्य पर सवाल करना देशद्रोह है.
गोबर महिमा विशुद्ध आस्था का मामला है. देश और देवता दोनों ही गोबरवादियों के लिए आस्था के मामले हैं, क्योंकि दोनों ही मूर्खता की कंचनजंघा पर विराजमान हैं.
तो भइया हुआ ये कि पहले जीव के धरती पर अवतरित होने के साथ ही भारतवर्ष में गोबर विज्ञान की भी शुरुआत हुई. दुनिया का विकास कैसे हुआ इसका राज गोबर में छुपा है. डारबिनवा ने जो कहानी रची है, वह सब फर्जी है. गोबर से प्रत्येक जीव-जंतु और संपूर्ण चराचर जगत की व्युत्पत्ति हुई है. गोबर में मौजूद स्थूल तरंगों से भौतिक संसार का निर्माण हुआ और सूक्ष्म तरंगों व अणुओं से परलोक निर्मित हुआ. इसीलिए एक बिचारी गाय के अंदर 33 करोड़ देवता निवास करते हैं. यह बात गाय को मालूम हो न हो, पर गोबरवादियों को मालूम है.
कालांतर में गोबर की शक्ति बढ़ती गई. देवताओं का जो आकाशवाणी सिस्टम था, वह वायु तरंगों पर आधारित था, जिसका नियंत्रण कक्ष एक गोबर गृह में बना था. गोबर ब्रम्हांड में मौजूद तरंगों से लेकर परमाणुओं और अणुओं तक को नियंत्रित करता है. इसलिए कुछ लोग अपने दिमाग को तरंगों के प्रभाव से बचाने के लिए उसमें गोबर भर लेते हैं. अदृश्य ग्रंथों में लिखा है कि 'दिमाग में गोबर भरा है' किसी के लिए ऐसा कहना भारतीय मूर्ख परंपरा का अपमान करना है. दिमाग में गोबर होना ज्ञान और गौरव की बात है.

दूसरा ज्ञान:

ओलंपिक में कीर्तिमान रचने वाले माइकल फेल्प्स का असली नाम माणिकलाल रामफल पासी है. वह विराट भारतीय हिंदू है. बचपन में वह संघ की शाखा में जाता था. संघ गौसेवा प्रमुख शंकरलाल जी ने उसे अपने भीतर सत्व गुण बढ़ाने की शिक्षा देते थे. फलीराम पासी रोज सुबह शाम ढाई सौ ग्राम गोबर और पांच ग्राम मूत्र से बना पंचगव्य बनाकर पीता था. फलस्वरूप उसने वह शक्ति हासिल कर ली कि जहां भी सोने की प्रतियोगिता होगी, वह सबसे अधिक सोना जीत लेगा. पानी में तैरकर उसके अणुओं से भी सोना निकाल लेना माणिकलाल भाई की खूबी है. यह कौशल उन्हें इसलिए प्राप्त हुआ क्योंकि गोबर और गोमूत्र में सोना पाया जाता है. माणिकलाल रामफल पासी का 1985 में अपहरण करके उसे अमेरिका ले जाया गया था. विराट खुफिया ज्ञान बताता है कि अमेरिका से भारत ने गेहूं खरीदा था. गेहूं के खाली बोरों में भरकर उसे अमेरिका ले जाया गया था. तबसे अमेरिका उसके नाम पर तमाम ख्याति बटोर रहा है. माणिक भाई का चेहरा देखिए, क्या तेज है. वह गोमूत्र और गोबर के दैवीय गुणों का प्रभाव है. भारत के साथ जितनी साजिशें हुई हैं, यह भी उनमें से एक है.

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