रविवार, 12 जून 2016

कैराना में फिर से हो रहा है षडयंत्र

मुजफ्फरनगर में जिस तरह एक वीडियो में हिंदू पीट कर मारे गए थे, बाद में जांच आयोग ने बताया कि वह वीडियो कराची का था. वो कारनामा संगीत सोम का था. उसी तरह संगीत सोम के राजनीतिक बिरादर हुकुम सिंह बता रहे हैं कि कैराना में हिंदू पलायन कर गए. कुछ विराट हिंदू लोग कह रहे हैं कि वहां कश्मीर बन गया है.
बताया जा रहा है कि दबंगों की दबंगई और उगाही के डर से लोग गांव छोड़ रहे हैं. अब यह कोई नहीं पूछ रहा है कि अगर इलाके में उगाही या रंगदारी हो रही है, जिसके डर से लोग पलायन कर रहे हैं तो प्रशासन क्या कर रहा है? गैंगेस्टर रंगदारी वसूल रहे हैं तो पुलिस और सांसद हुकुम सिंह क्या कर रहे हैं? गुंडों और रंगदारों के प्रति नरम कौन है? किसी सरकार और प्रशासन के रहते हुए रंगदार कैसे सक्रिय हैं? अगर इलाके में रंगदार और अपराधी सक्रिय हैं तो प्रशासन जवाबदेह है या मुस्लिम समुदाय जवाबदेह है? कितने रंगदार और अपराधी गिरफ्तार किए गए? यूपी में कोई सरकार है कि नहीं? कोई यूपी सरकार पर सवाल क्यों नहीं कर रहा है? सोशल मीडिया के वीर बालक लोग भी नहीं. यदि दिल्ली या मुंबई में कोई गैंगेस्टर लोगों को परेशान करता है तो उसके धार्मिक समुदाय से जवाब मांगा जाता है या प्रसाशन से?
मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से उस पूरे इलाके में यह हो रहा है कि जहां हिंदू ज्यादा हैं, वहां से मुसलमान हट रहे हैं, जहां मुसलमान ज्यादा हैं, वहां से हिंदू हट रहे हैं. सिर्फ दंगे में 50 हजार लोग विस्थापित हुए. कई इलाके जहां पर दंगे नहीं हुए थे, वहां से भी मुसलमानों ने गांव खाली कर दिए. उसी तरह ज्यादा मुसलमान आबादी वाले इलाकों से हिंदू परिवार भी चले गए. मुसलमानों के मुकाबले यह संख्या बेहद कम है.
दूसरे, हुकुम सिंह जो हत्याओं की सूची जारी कर रहे हैं, उनमें से कई लोगों की हत्या 15—20 साल पहले हुई थी. तीसरे, यह कोई आतंकग्रस्त इलाका नहीं है और दंगे के आयोजकों में भाजपा नेता शामिल थे, जो कि आयोग की रिपोर्ट में दर्ज है.
रिहाई मंच ने वहां पड़ताल करके प्रेस रिलीज जारी कर कहा है, 'मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के आरोपी हुकुम सिंह ने जिन 21 हिंदुओं की हत्याओं की सूची जारी की है उनमें से एक भी सांप्रदायिक हिंसा या द्वेष के कारण नहीं मारे गए हैं और उनमें से कई लोगों की हत्याएं तो ढाई दशक पहले हुई थीं. पुलिस एवं स्थानीय लोगों के द्वारा सूची की जांच पड़ताल करने पर यह निकला कि इस सूची में दर्ज मदनलाल की हत्या 20 वर्ष पहले, सत्य प्रकाश जैन की 1991, जसवंत वर्मा की 20 साल पहले, श्रीचंद की 1991, सुबोध जैन की 2009, सुशील गर्ग की 2000, डा0 संजय गर्ग की 1998 में हत्याएं हुई थीं. इन सभी हत्याओं में आरोपी भी हिंदू समाज से ही थे. सीओ कैराना भूषण वर्मा से बात की तो उन्होंने भी भाजपा सांसद द्वारा जारी सूची को फर्जी और तोड़ा-मरोड़ा बताया. उन्होंने कहा कि थाना कैराना में पिछले डेढ़ साल में कोई भी सांप्रदायिक कारणों से हत्या नहीं हुई है और जो घटनाएं हुई भी हैं वो विशुद्ध आपराधिक प्रवृत्ति या आपसी रंजिस की रही हैं.'
भाजपा के पास चुनाव के लिए कोई मुद्दा नहीं है. वे निश्चित ही 2013 के दंगों को भुनाने के लिए माहौल बना रहे हैं. वे गांव गांव को पाकिस्तान बनाने पर तुले हैं, वरना पश्चिमी उत्तर प्रदेश कश्मीर घाटी नहीं है.


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